NEGATIVE PR ,OVERHYPE - Making and Breaking Cricket Careers slowly
आज की दुनिया में, जिस तरह से सोशल मीडिया चीजों, लोगों और सामाजिक वातावरण के बारे में एक धारणा बनाता है, उसका इस्तेमाल लगभग हर कोई अपने फायदे के लिए करता है।
पीआर टीम जितनी मजबूत होगी, धारणा बनाने और अंततः निर्णय को उचित ठहराने में उतना ही अधिक फायदा होगा, दुर्भाग्य से हर क्षेत्र की तरह क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं है ।
कुछ समय पहले, उस समय के वर्तमान मुख्य चयनकर्ता और अब एक पूर्व मुख्य चयनकर्ता ने स्वीकार किया था कि सोशल मीडिया टीम चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
टिप्पणीकार, प्रसारक और बड़े ट्विटर अकाउंट अपनी पहुंच का उपयोग एक ऐसा माहौल बनाने के लिए करते हैं जो उचित ठहराता है कि क्या हो रहा है, भले ही यह संदिग्ध हो या न हो।
एक अस्वीकरण के साथ शुरुआत करूंगा कि राहुल की तुलना किसी भी खिलाड़ी से नहीं की जानी चाहिए और न ही मैं मानता हूं कि वह वर्तमान भारतीय क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ हैं। फोकस इस बात पर है कि उन्हें जानबूझकर एक बुरे क्रिकेटर के रूप में चित्रित किया गया है, जो कि वह नहीं हैं ।
पिछले कुछ वर्षों में केएल राहुल नकारात्मक पीआर के शीर्ष पर रहे हैं । राहुल के बारे में कुछ “टिप्पणियों” की शुरुआत करते हैं ।
10 साल में "केवल" 8000 रन
यह हाल ही में तब सामने आया जब केएल राहुल ने सभी प्रारूपों में 8000 रन पूरे किए, हकीकत कुछ और नहीं, मौजूदा समय में एक्टिव क्रिकेटर रोहित और विराट के अलावा ये रिकॉर्ड उनके नाम है |
अधिक दिलचस्प तथ्य यह है कि जो क्रिकेटर हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं या टीम से बाहर हैं, उस सूची में भी, राहुल से शीर्ष पर रहने वाले एकमात्र व्यक्ति शिखर धवन हैं, जिन्होंने सभी प्रारूपों में 12 साल के करियर में 10867 रन बनाए हैं।
12 साल लंबे करियर में सभी फॉर्मेट खेलने वाले अजिंक्य रहाणे 8414 रनों के साथ लगभग 300 रन आगे हैं।
चेतेश्वर पुजारा, जिन्होंने प्रमुख रूप से एकल प्रारूप खेला और 2010 में पदार्पण किया, अब तक लगभग 13 वर्षों तक खेले हैं और 7246 रन बनाए हैं।
2014 में डेब्यू करने वाले राहुल ने 10 साल तक सभी प्रारूपों में 8414 रन बनाए हैं, जो 2010 के बाद या उसके बाद डेब्यू करने वाले भारतीय बल्लेबाजों में शिखर धवन (10867) के बाद दूसरे स्थान पर है। और मौजूदा टीम के बल्लेबाजों में विराट और रोहित के बाद सबसे ज्यादा ।
2023 विश्व कप फाइनल में पारी
2023 में रोहित का प्रर्दशन बढ़िया था तो राहुल का भी अछा था । पर एक पारी की नाकारात्मक PR हुई और 2023 के फाइनल से पहले पिच बदलने और दुसरी पारी 4में कप्तानी में त्रुटियों को ढका गया। पूर्व कप्तान विराट कोहली के शासनकाल में हर चीज का दोष कप्तान पर मढ़ा जाता था, लेकिन इस बार विश्व कप में “फाइनल केवल राहुल की पारी के कारण हार गया” बड़े यूट्यूबर्स, बड़े अकाउंट्स और यहां तक कि कई बार देखा गया सबसे प्रमुख एजेंडा था। टिप्पणीकार और प्रसारक ।
कुछ लोगों के अलावा किसी ने भी यह नहीं बताया कि 2023 विश्व कप फाइनल से पहले कप्तान और कोच के निर्देश पर पिच में बदलाव किया गया था। फ़ाइनल की दूसरी पारी में कप्तानी की त्रुटियों को कम महत्व दिया गया और शायद ही कभी इसकी आलोचना की गई । इसमें कोई शक नहीं कि राहुल की पारी अच्छी नहीं थी, अंत में तेजी लाने की उनकी योजना विफल रही (एक साक्षात्कार के दौरान उनके अपने शब्दों में) लेकिन क्या फाइनल हारने का यही एकमात्र कारण था? मुझे ऐसा नहीं लगता
t20i वर्ल्ड कप 2024 के लिए फिट नहीं
2021 विश्व कप से पहले, राहुल टी20ई में भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाजों में से एक थे या कम से कम उनके प्रदर्शन से यही पता चलता है। टी20i 2021 , 2022 विश्व कप में दोनों लगभग विफल सलामी बल्लेबाज़ थे ।
लेकिन रोहित ने लगातार 8वां टी20ई विश्व कप खेलते हुए भारत का नेतृत्व किया और राहुल को 15 सदस्यीय टीम में भी शामिल नहीं किया गया, बल्कि उस समय तक एक असफल टी20आई बल्लेबाज के रूप में ऋषभ पंत को राहुल के ऊपर तरजीह दी गई। कारण: कुख्यात/प्रसिद्ध नकारात्मक #PR कि राहुल का कथित “intent” नहीं था ।
हालिया हुई बांग्लादेश टेस्ट श्रृंखला में किस प्रकार से कॉमेंटेटर, ब्रॉडकास्टर और ट्विटर के कुछ प्रचलित अकाउंट 23(11) को इतना चढ़ा रहे थे वो सबने देखा है।
उसी मैच की उसी पारी में राहुल, जिनकी मानसीकता (“intent”) पर सारी दुनियां मानसिक रोग विशेषज्ञ बन जाति है, वो राहुल 158 की स्ट्राइक रेट से अर्ध शतक बना के गए, पर 23(11) की शीघरपतन पारी के “overhype” में उसको दबा दिया गया राहुल के अब तक के सफर में “inconsistency” के कुछ अंश जरूर हैं और ऐसा मेने कभी नहीं कहा कि वो किसी से बेहतर हैं। पर जितना खराब बल्लेबाज़ उनको नाकारात्मक #PR के चलते बताया जाता है , वो उतने ख़राब हैं नहीं।
राहुल उस खेल का एक उदाहरण मात्र हैं जो भारतीय क्रिकेट टीम में “बड़े खिलाड़ी/बड़े खिलाड़ी नहीं” के नाम पर खेला जा रहा है।
लंबे समय तक दिए जाने पर कोच और कप्तान का विश्वास होना (जो कभी-कभी अनुचित भी लगता है) लेकिन पीआर का उपयोग करके किसी खिलाड़ी को नीचा दिखाना एक बहुत ही खतरनाक खेल है, खासकर युवा और उभरते खिलाड़ियों के लिए, जिनके पास स्पष्ट रूप से इस कला में निपुण होने की कमी होगी।